व्यवसायिक भाषा क्या होता हैं इसके महत्व को समझाइए ?

व्यावसायिक भाषा- व्यावसायिक वर्गों के आधार पर भाषा की अनेक श्रेणियाँ बन जाती हैं।

किसान, बढ़ई, डाक्टर, वकील, पंडित, मौलवी, दुकानदार आदि की भाषा में व्यावसायिक शब्दावलियों के समावेश के कारण अन्तर हो जाता है।

इस व्यावसायिक शब्दावली की स्थिति बहुत कुछ पारिभाषिक होती है। कुछ व्यवसायों में बहुप्रचलित शब्दावली के स्थान पर विशिष्ट अर्थ सूचक नई शब्दावली गढ़ ली जाती है।

इसकी स्थिति बहुत कुछ सांकेतिक भाषा जैसी होती है। कभी-कभी यह अपभाषा की कोटि में पहुँच जाती है। कहारों की भाषा (वधू की डोली ढोते समय) इसी तरह की होती है।

बैल के व्यवसायी आपस में एक भाषा बोलते हैं जिसे ग्राहक बिलकुल नहीं समझ पाता है। मौलवी . साहब जब हिन्दी बोलते हैं तो उनका झुकाव प्रायः अरबी-फारसी निष्ठ भाषा की ओर रहता है और पंडितजी की हिन्दी-संस्कृत की ओर झुकी रहती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top