प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धांत क्या है

सड़क दुर्घटना हो या आग से झुलसने की घटना हो या दिल की धड़कन बंद होना-घटना स्थल पर मौजूद व्यक्ति ही सही तरीके से पीड़ित व्यक्ति की मदद कर सकता है और उसे उपचार दे सकता है जिसे प्राथमिक चिकित्सा कहा जाता है |

प्राथमिक सहायता एक व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक ढंग से किया जाने वाला कार्य है। अतः इसे करने के लिए कुछ मौलिक सिद्धांतों एवं नियमों को जानना आवश्यक है। प्राथमिक सहायता के मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित हैं –

वास्तविकता जानने का प्रयास – दुर्घटना होते ही प्राथमिक चिकित्सक को वास्तविकता जानने का प्रयास करना चाहिए
(1) क्या शरीर की कोई हड्डी तो नहीं टूट गयी ?
(2) यदि घाव हुए हैं तो कहां-कहां हुए हैं ?
(3) शरीर का कोई अंग दबा या कुचला तो नहीं गया ?
(4) व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई तो नहीं हो रही है ?
(5) शरीर के किसी अंग से रक्त तो नहीं बह रहा ?
(6) कोई विष तो नहीं खाया गया है? ।

चिकित्सक से सम्पर्क- यदि दुर्घटना गम्भीर हो तो योग्य चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए। सम्पर्क के लिए यदि सम्भव हो तो टेलीफोन से काम लेना चाहिए, अन्यथा किसी विश्वसनीय व्यक्ति को चिकित्सक के पास तुरन्त भेजना चाहिए।

रोगी को कृत्रिम रूप से सांस दिलाना- यदि रोगी की श्वास थम रही हो तो उसे कृत्रिम सांस देना या दिलाने का प्रयास करना चाहिए।

रक्त का बहना रोकना- यदि चोट अथवा किसी अन्य कारण से रक्त बह रहा है तो रक्तस्राव को रोकने का प्रयास करना चाहिए, इसके लिए पट्टियां बांधी जा सकती हैं।

शरीर को गर्म रखना- यदि व्यक्ति घायल हो गया हो तथा शरीर से रक्त बह रहा हो और वह होश में हो तो उसे गर्म पेय दूध अथवा चाय पिलानी चाहिए।

दवा लगाकर पट्टी बांधना- चोट पर शीघ्र ही कोई कीटाणुनाशक दवा लगाकर पट्टी बांध देना चाहिए। इससे बाहरी रोगाणु प्रवेश नहीं कर पाते।

घायल अंग को सहारा देना- जिस अंग में मुख्य रूप से चोट लगी हो उसे सहारा देकर आरामदायक स्थिति में रखना चाहिए, क्योंकि अंग के लटकने अथवा अस्त-व्यस्त रहने से अधिक पीड़ा होती है तथा रक्त भी अधिक बहता है।

बेहोश व्यक्ति को होश में लाना- यदि रोगी बेहोश हो गया हो तो उसे होश में लाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए रोगी को खुली हवा में लिटाना चाहिए तथा पंखा झेलना चाहिए। यदि आवश्यकता हो तो पानी के छींटे भी दिये जा सकते हैं।

घायल व्यक्ति को अधिक न हिलाना-डुलाना- यदि व्यक्ति घायल हो तो उसे अधिक हिलाना-डुलाना नहीं चाहिए। इससे अधिक तकलीफ होती है।

आसपास की भीड़ हटाना- रोगी को स्वच्छ हवा मिल सके इसलिए उसके आसपास लगी भीड़ को हटा देना चाहिए। जो लोग पास रहें वे भी शान्त रहें और प्राथमिक सहायता करने में सहयोग दें।

विष निकालने का प्रयास- यदि विष की आशंका हो तो विष को निकालने का प्रयास करना चाहिए। यदि विष निकालना कठिन हो तो उसके प्रभाव को कम करने का प्रयास करना चाहिए।

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