दो या दो से अधिक रेखाओं को भिन्न-भिन्न बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करने वाली रेखा को तिर्यक रेखा कहते है।
तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंत: कोण संपूरक होते हैं ।
यदि दो रेखाओं को एक तिर्यक रेखा प्रतिच्छेदित करती है, तो दो रेखाओं के समांतर होने की आवश्यक और पर्याप्त स्थितियां हैं-
(1) संगत कोण बराबर होते हैं।
अर्थात ∠1 = ∠5, ∠2 = ∠6, ∠3 = ∠7, ∠4=∠8
अर्थात ∠1 = ∠5, ∠2 = ∠6, ∠3 = ∠7, ∠4=∠8
(2) एकान्तर अन्तः कोण बराबर होते हैं।
अर्थात ∠3 = ∠5, ∠4 = ∠6.
(3) क्रमागत अंतः कोणों का युग्म (तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोण) को सह अंतः कोण या पूरक कोण भी कहते हैं।
अर्थात ∠3 + ∠6 = 180° और ∠4+ ∠5 = 180°
(4) एकान्तर बाह्य कोण बराबर होते हैं।
अर्थात ∠1 = ∠7, ∠2 = ∠8